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भारत में सोरायसिस कितना कॉमन है? – How common is Psoriasis in India? in Hindi

भारत में सोरायसिस 0.44–2.8% वयस्कों को प्रभावित करता है, जिसमें पुरुष महिलाओं की तुलना में अधिक प्रभावित होते हैं। How common is Psoriasis in India? in Hindi यह एक सामान्य त्वचा रोग है, जो लाखों लोगों को प्रभावित करता है। अस्पताल आधारित अध्ययनों के अनुसार, यह त्वचा रोगियों में 0.44–2.8% मामलों में देखा जाता है, खासकर 30 और 40 की उम्र में।

इस लेख का परिचय

यह लेख भारत में सोरायसिस की व्यापकता, इसके प्रभावित लोगों और महत्वपूर्ण आंकड़ों पर प्रकाश डालता है। यदि आप “भारत में सोरायसिस की व्यापकता” जैसे सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं, तो यह लेख सरल और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करता है। हम सोरायसिस क्या है, भारत में यह कितना आम है, इसके आंकड़े, सामान्य प्रश्नों के उत्तर और निष्कर्ष के साथ समझाएंगे ताकि कलंक कम हो और प्रभावित लोगों को सहायता मिले।

सोरायसिस क्या है? What is Psoriasis in Hindi?

सोरायसिस एक दीर्घकालिक स्वयंप्रतिकार त्वचा रोग है, जिसमें त्वचा की कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं, जिससे लाल, पपड़ीदार धब्बे बनते हैं जो खुजली या जलन पैदा कर सकते हैं। यह तब होता है जब प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ त्वचा कोशिकाओं पर हमला करती है, जिससे उनका विकास चक्र एक महीने से घटकर कुछ दिनों का हो जाता है।

सोरायसिस के बारे में मुख्य जानकारी:

  • लक्षण: चांदी जैसे सफेद पपड़ियों के साथ लाल धब्बे, सूखी या फटी त्वचा, खुजली, जलन या दर्द। यह नाखूनों (गड्ढे या मोटापन) या जोड़ों (सोरियाटिक गठिया) को भी प्रभावित कर सकता है।
  • सामान्य स्थान: कोहनी, घुटने, सिर की त्वचा, कमर, लेकिन यह कहीं भी हो सकता है।
  • प्रकार: प्लाक सोरायसिस (90% से अधिक मामले), गट्टेट, इनवर्स, पस्टुलर, या एरिथ्रोडर्मिक।
  • कारण: अनुवांशिकता और ट्रिगर जैसे तनाव, संक्रमण, ठंडा मौसम, त्वचा की चोट, धूम्रपान, या कुछ दवाइयाँ।
  • कौन प्रभावित होता है?: यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन अक्सर 15 से 35 वर्ष की आयु में शुरू होता है। यह खराब स्वच्छता या आहार के कारण नहीं होता।

कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन क्रीम, प्रकाश चिकित्सा, मौखिक दवाइयाँ या बायोलॉजिक्स लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं।

भारत में सोरायसिस कितना आम है? विस्तृत जवाब

भारत में सोरायसिस एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है, जो 0.44–2.8% वयस्कों को प्रभावित करती है, मुख्य रूप से उत्तर भारत के अस्पताल आधारित अध्ययनों के अनुसार। भारत की विशाल जनसंख्या को देखते हुए, यह लगभग 55 लाख से 3.5 करोड़ लोगों को प्रभावित कर सकता है। त्वचा रोगियों में इसकी घटना 0.44–2.8% है, जिसमें समग्र घटना 1.02% है।

महत्वपूर्ण आंकड़े

  • व्यापकता: अध्ययनों में भारत में सोरायसिस की व्यापकता 0.44–2.8% बताई गई है, जो वैश्विक औसत 2–3% से कम है।
  • लिंग: पुरुषों में यह महिलाओं की तुलना में लगभग दोगुना आम है, जिसमें पुरुष-महिला अनुपात 2:1 से 2.5:1 है।
  • उम्र: यह रोग तीसरे और चौथे दशक (20–39 वर्ष) में सबसे अधिक देखा जाता है, जिसमें शुरुआत की औसत उम्र 33.6 वर्ष है। महिलाओं में यह थोड़ा पहले (27.6 वर्ष) शुरू हो सकता है, पुरुषों में (30.9 वर्ष)。
  • बच्चे: बच्चों में सोरायसिस कम आम है, उत्तर भारत में इसकी व्यापकता 0.0002% है। लड़कों में यह 6–10 वर्ष और लड़कियों में 11–15 वर्ष की उम्र में चरम पर होता है।
  • क्षेत्रीय भिन्नता: अमृतसर जैसे स्थानों में उच्च दर (2.2%) देखी गई है, जो पूर्वी भारत की तुलना में अधिक है, संभवतः पर्यावरणीय कारकों जैसे तापमान या आहार के कारण।
  • सोरियाटिक गठिया: भारत में 8.7% सोरायसिस रोगियों को सोरियाटिक गठिया होता है, जिसमें 83% मामले स्क्रीनिंग के दौरान नए निदान किए गए हैं।

इन आंकड़ों का महत्व

अधिकांश डेटा अस्पताल आधारित अध्ययनों से आता है, जो सामान्य जनसंख्या को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं कर सकता। उदाहरण के लिए, उत्तर भारत के एक अध्ययन में त्वचा रोगियों में 2.3% को सोरायसिस था, जिसमें 67% पुरुष और 33% महिलाएँ थीं। बड़े पैमाने पर जनसंख्या आधारित अध्ययनों की कमी सटीक अनुमानों को सीमित करती है, लेकिन इसका प्रभाव स्पष्ट है, खासकर मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसे संबंधित मुद्दों के साथ (दक्षिण भारत के एक अध्ययन में 28.8% रोगियों को प्रभावित करता है)।

चुनौतियाँ

सोरायसिस अक्सर कम निदान होता है क्योंकि लोग जागरूकता की कमी या कलंक के कारण विशेषज्ञों से देर से संपर्क करते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। इसकी दृश्यता सामाजिक अलगाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

भारत में कितने लोगों को सोरायसिस है?

सोरायसिस 0.44–2.8% वयस्कों को प्रभावित करता है, यानी लगभग 55 लाख से 3.5 करोड़ लोग, अस्पताल अध्ययनों के आधार पर।

भारत में सोरायसिस पुरुषों में अधिक आम है या महिलाओं में?

पुरुषों में यह महिलाओं की तुलना में दोगुना आम है, अनुपात 2:1 से 2.5:1

भारत में सोरायसिस आमतौर पर किस उम्र में शुरू होता है?

यह आमतौर पर 20 या 30 की उम्र में शुरू होता है, औसत शुरुआत की उम्र 33.6 वर्ष है।

क्या भारत में बच्चों को सोरायसिस होता है?

हाँ, लेकिन यह कम आम है, व्यापकता 0.0002% है, जो 6–15 वर्ष की उम्र में चरम पर होता है।

क्या भारत में सोरायसिस क्षेत्र के अनुसार बदलता है?

हाँ, अमृतसर में उच्च दर (2.2%) है, संभवतः पर्यावरणीय या आनुवंशिक कारणों से।

क्या सोरायसिस भारत में अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है?

हाँ, 28.8% रोगियों को मेटाबोलिक सिंड्रोम और 8.7% को सोरियाटिक गठिया हो सकता है।

निष्कर्ष

भारत में सोरायसिस काफी आम है, जो 0.44–2.8% वयस्कों को प्रभावित करता है, जिसमें पुरुषों में महिलाओं की तुलना में दोगुना जोखिम होता है। यह 20 और 30 की उम्र में सबसे अधिक होता है और जीवन की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। अस्पताल आधारित अध्ययनों से ये आंकड़े मिले हैं, लेकिन सटीक अनुमानों के लिए अधिक जनसंख्या आधारित शोध की आवश्यकता है। जागरूकता बढ़ाने और शुरुआती उपचार को प्रोत्साहित करने से कलंक कम हो सकता है। यदि आपको सोरायसिस का संदेह है, तो उचित देखभाल के लिए त्वचा विशेषज्ञ से संपर्क करें। जागरूकता फैलाकर, हम प्रभावित लोगों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

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